कुछ गीत/ नारे चकबंदी के लिए

आज के बाद एक नया अफसाना बयां होगा 
न जमीं न जन्नत पर हम सा को दीवाना होगा
राह भी मुस्कराएगी खुद व खुद और 
मंजिल पूछेगी बता *GANESH GARIB * तुझे जाना कहाँ होगा
                                                                     -अनुसूया प्रसाद जोशी



क्यों फांके हम शहर की धूल,खिल उठा जागा एक फूल

अब न होगा हाल बेहाल, हर गाँव होगा खुशहाल

खेत से खेत का नाता जुड़ेगा , सपना पूरा चकबंदी करेगा

न उजड़ेंगे खेत खलि11 हान, न भागेगा नौजवान

**गरीब** गणेश से श्री गणेश होगा, कंधे से कन्धा जुड़ता चलेगा.
                                                                                        *कपिल डोभाल*

गणेश ***गरीब*** गरीब से क्या,***गरीब क्रांति*** में गरीब है क्या
गरीब का अर्थ गरीब नहीं ,गरीब बिखरे हुए खेतो की
साथ जोड़ने की मुहिम का नाम
गरीब आह्वान करे उनका , जो छोड़ चले खेत खलियान
आवो जरा खुद जुड़ तो ले ,फिर गावों को भी जोड़ हम लें
गावों में अलख जगाने का ,स्वागत गीत का नाम गरीब
आवो मनाएं गरीब क्रांति ,हर घर में जले दीप गरीब का
लौ इसकी जलती ही रहे . लौ इसकी जलती ही रहे

                                                                        - तरुण

गाँव गरीब मजदूर किसान ,कैंसे हो इनका उत्थान ?
उजाड़ रहे हैं खेत और किसान ,बचा लो उत्तराखंडियो की पहचान ?

तीन मूल मंत्र -
१ सत्य और श्रम के रास्ते पर चलकर
२ गाँव खेती और चकबंदी की बुनियाद पर
३ संकल्प और विवेक के बल पर

चलेगा गरीब क्रांति का रथ, तभी होगा सबका उत्थान
चकबंदी ही देगी लाखो को देगी काम , गाँव से पलायन पर लगेगा विराम
तभी बचेगी संस्कृति और पहचान , बढेगा सबका सम्मान
तभी तो खेत बचेगा गाँव बसेगा , हमारी मात्रभूमि का सम्मान बढेगा




जय जवान की, जय किसान की, जय बोलो मजदूरों की.
बोलो खून पसीने की जय , जय बोलो मतवालों की.
जय जवान और जय किसान. यह सरकारक नारा है.
जो जवान को , मिले किसान को यह हमारा नारा है.
तेरा बहुमत,तेरी ताकत. लीकें राज अमीरों का.
लूट खसूट के शासन में , जीना कठिन गरीबो का .
कर्जे में तू पैदा होता, कर्जे में ही पलता है .
जीवन भर कर्जे का बोझा, कर्जे में ही मरता है .
खून पसीना करता है , तब मेहनत की खाता है.
मुफतखोर कुर्सी पर बैठा, लूट के मौज मनाता है.
भरता तू ही पेट सभी का, फिर भी तू भिखमंगा क्यों ?
तेरे ही बचो की फीकी, होली और दिवाली क्यों?
तू ही भूखा सोता क्यों, लुटेरा मौज मनाता क्यों ?
तू हो सबका पालनकर्ता, लेकिन बंधक बना है क्यों?
जीने का अधिकार सभी को , ऐंसा बिगुल बजा दे तू .
भीख नहीं है अधिकार चाहिए, ऐंसा बिगुल बजा दे तू.
गरीब की यह बाणी सुन लो , गरीबी पार लगाएगा .
धरती की असली सेवको को , उचित सम्मान दिलाएगा.